गौधन न्याय योजना, छत्तीसगढ़ सरकार की प्रमुख योजना।

छत्तीसगढ़ सरकार ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने स्वच्छ गांव को सुनिश्चित करने तथा आवारा पशुओं के समस्या का हल करने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने गोवरन न्याय योजना की शुरुआत की है।
यह योजना 2020 में छत्तीसगढ़ सरकार ने शुरुआत की जिसमें गायों का गोबर खरीदा जाता है वह भी ₹2 प्रति किलो के हिसाब से। यानी छत्तीसगढ़ सरकार गायों की गोबर खरीदने के लिए गोधन न्याय योजना चला रही है।
गोधन न्याय योजना गांव के पर्यावरण को सुधार करते हुए डेयरी व्यवसाय और जैविक खेती को बढ़ावा देकर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को तेजी से मजबूती बनाने के लिए यह राज्य की प्रमुख योजना है।
इसके लिए छत्तीसगढ़ सरकार लगभग 8000 गौशाला संचालित करता है और ₹2 प्रति किलो गाय का गोबर खरीदना है। सरकार इसका उपयोग खाद और बिजली बनाने के लिए करती है।
इन गौशाला का कामकाज स्थानीय स्वशासी निकाय की जिम्मेदारी होती है। ग्रामीण क्षेत्रों में से 13 सदस्यीय कमेटी द्वारा चलाई जाती है। जिसक पदाधिकारी की नियुक्ति ग्राम सभा की सिफारिश पर की जाती है। जो लोग इनका उपयोग करना चाहते हैं उन्हें स्थानीय नगरपलिका में पंजीकरण कराना होता है। उसके बाद हुए सुबह अपने पशुओं को आश्रमों में ले जा सकते हैं। सबसे बड़ी बात है कि पूरे दिन आश्रम में पशुओं को मुफ्त में चारा दिया जाता है तथा एकत्रित के गोबर को ₹2 प्रति किलो के हिसाब से भुगतान भी किया जाता है।
सरकार ने बायोगैस बिजली संयंत्र के साथ बिजली पैदा करने के लिए गोबर का उपयोग करता है।
एक आकलन के हिसाब से यह पाया पाया गया कि इस योजना को ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मदद करने के लिए बनाई गई थी वह अब मुख्य रूप से शहरी केंद्रित हो गया है।
इस योजना के प्रमुख लाभ।
इस योजना के लागू होने से आवारा पशुओं की समस्या खत्म हो गई।
पर्यावरण को स्वच्छ बनाने में सहायक सिद्ध हुआ।
ग्रामीणों के आमदनी में विकास हुआ।

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