Breaking news. प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना का बड़ा अपडेट, मुफ्त वाला अनाज हो सकता है बंद।

केंद्र सरकार द्वारा प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत करोड़ों गरीब परिवार को मुफ्त राशन दिया जाता ह। इस योजना को केंद्र द्वारा पहले दिसंबर और फिर दिसंबर महीने तक बढ़ा दिया गया है।
क्या दिसंबर के बाद इस योजना को चालू रख पाना सरकार के लिए संभव है? वह भी तब जब वित्त मंत्रालय का व्यय विभाग और नीति आयोग के सदस्य इस योजना से सरकार पर आर्थिक बोझ बढ़ने के संकेत दे रहे हैं।
मीडिया को दिए गए साक्षात्कार में नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद के अनुसार दिसंबर के बाद मुफ्त अनाज कार्यक्रम को जारी रखने से सरकारी कोष पर भारी बोझ पड़ेगा तथा इससे ईंधन की कीमतों पर भी प्रभाव पड़ेगा। यही नहीं नगद नगदी आपूर्ति में कमी कृषि क्षेत्र सहित कूल विकास को प्रभावित कर सकती है।
80 हजार करोड़ और खर्च होने का अनुमान।
सरकार ने वित्त वर्ष 2023 में खाद सब्सिडी के लिए 2.07 लाख करोड़ रूपया का बजट रखा है। यह रकम पिछले वित्त वर्ष के 2.86 लाख करोड़ रुपए से काफी कम है। व्यय विभाग ने बताया था कि सितंबर तक प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अनाज योजना के विस्तार से सब्सिडी बिल बढ़कर 2.87 लाख करोड़ रूपया होने का अनुमान है।
इस योजना को और बढ़ाने से चालू वित्त वर्ष 2022 और 2023 में 80 हजार करोड़ रूपया और खर्च हो सकते हैं।
जिससे फूड सब्सिडी बढ़कर करीब 400000 करोड़ रूपया पर पहुंच जाएगी।
इस योजना के जारी रहने से महंगाई बढ़ेगी।
पीएम जी kay2 जारी रखना एक के अभूतपूर्व समय के लिए एक के अभूतपूर्व उपाय था। दिसंबर के बाद इसकी निरंतर तथा सरकारी खजाने पर भारी राजकोषीय बोझ डाल देगी जो महंगाई को बढ़ावा देती है और अतिरिक्त महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर सार्वजनिक व्यय के लिए उपलब्ध संसाधनों को भी कम करती है।
यह खुले बाजार में सामान्य स्तर से गेहूं और चावल की आपूर्ति को भी काम करेगा जिससे एक गंभीर मुद्रास्फीति का जोखिम होगा साथ ही खदान के निर्यात में भी कमी आएगी।
अनाज की बढ़ती कीमतों पर अंकुश लगाए जाने की आवश्यकता।
केंद्र सरकार द्वारा अप्रैल 2020 में देश की करीब दो तिहाई आबादी को राष्ट्रीय खाद सुरक्षा अधिनियम के तहत गेहूं और चावल की आपूर्ति ₹2 और ₹3 प्रति किलोग्राम समान मात्रा में दी जा रही है और इसे दिसंबर 2022 तक बढ़ा दिया गया है।
Nfm a aur pm GK a y के तहत सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से आपूर्ति किए जाने वाला अनाज देश में लगभग 80 करोड़ लोगों की मुख्य खाद्य आवश्यकताओं का लगभग 80% पूरा करता है। जैसे कि आर्थिक गतिविधि और अर्थव्यवस्था प्राथमिक स्तर पर लौट आई है लाभार्थियों को अतिरिक्त खदान की मुफ्त आपूर्ति बंद करना उचित है। उन्होंने बताया कि अब अनाज की बढ़ती कीमतों पर अंकुश लगाए जाने की आर्थिक आवश्यकता है। पीएम जी के वाई के तहत वितरण की वजह खुले बाजार में खरीदे या छोड़े गए खदान की समान मात्रा का खाद्य कीमतों और मुद्रास्फीति पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ सकता है।
अंतरराष्ट्रीय कीमतों के कारण भारतीय कीमतें दबाव में,
नीति आयोग के सदस्य के मुताबिक अक्टूबर के अंत में बेमौसम की बारिश के बावजूद दे सब्जी और अनाज की कीमतों में गिरावट आई है। देश में सबसे ज्यादा महंगाई खाद एवं उर्वरक में विश्वव्यापी मूल्य वृद्धि के कारण है। उन्होंने कहा कि जब तक अंतरराष्ट्रीय कीमतें ऊंची रहेगी भारतीय कीमतें दबाव में रहेगी। सरकार अंतरराष्ट्रीय कीमतों पर कड़ी नजर रख रही है और घरेलू कीमतों पर अंतरराष्ट्रीय कीमतों में अत्यधिक के स्थिरता के प्रभाव को कम करने के लिए टैरिफ में बदलाव और निर्यात आयात सहायता जैसी तत्काल कार्रवाई की जाती है।

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