मजदूरी से डॉक्टर बनने तक का सफर: शुभम स्वर की प्रेरणादायक कहानी

NEET 2024 सफलता गाथा: ओडिशा के शुभम स्वर ने कठिन परिस्थितियों में मजदूरी करके अपनी कोचिंग की फीस भरी और अब MBBS की सीट पाकर डॉक्टर बनने का सपना साकार कर रहे हैं।

परिचय

कहते हैं मेहनत और लगन का कोई विकल्प नहीं होता। यही सच साबित किया है ओडिशा के शुभम स्वर ने। आर्थिक तंगी और कठिन हालात के बावजूद उन्होंने अपने डॉक्टर बनने के सपने को कभी टूटने नहीं दिया। आज वे NEET परीक्षा पास कर एमकेसीजी मेडिकल कॉलेज, बेरहामपुर में दाखिला ले चुके हैं।

संघर्ष की कहानी

शुभम के परिवार की आर्थिक स्थिति बेहद कमजोर थी। घर की तंगी के कारण कोचिंग की फीस चुकाना संभव नहीं था। मजबूर होकर उन्होंने राजधानी भुवनेश्वर में मजदूरी करना शुरू किया। निर्माण स्थल पर ईंट, गारे और सीमेंट ढोने का काम कर उन्होंने कोचिंग की फीस जुटाई।

दिनभर मजदूरी और रात में पढ़ाई, यही उनका जीवन बन गया। लेकिन इस कठिन तपस्या ने उन्हें सफलता दिलाई।

NEET में सफलता

लगातार संघर्ष और मेहनत के बल पर शुभम ने NEET परीक्षा में 18,212वीं रैंक हासिल की। यह उपलब्धि उनके लिए किसी सपने के सच होने जैसी थी। परिणाम आते ही उनके शिक्षक ने फोन कर खुशखबरी दी और शुभम खुशी से भावुक हो गए।

सपनों की उड़ान

शुभम ने बताया कि वे मजदूरी के दौरान भी पढ़ाई का जज़्बा बनाए रखते थे। उन्होंने हार नहीं मानी और आज उनका सपना हकीकत बन चुका है। अब वे डॉक्टर बनकर समाज की सेवा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

निष्कर्ष

शुभम स्वर की कहानी हर उस विद्यार्थी के लिए प्रेरणा है जो आर्थिक तंगी या कठिन परिस्थितियों से जूझ रहा है। यह कहानी बताती है कि यदि लगन और हौसला मजबूत हो, तो सफलता पाना असंभव नहीं है।

FAQ: अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

Q1. शुभम स्वर कहां से हैं?

शुभम स्वर ओडिशा के रहने वाले हैं।

Q2. शुभम ने मजदूरी क्यों की?

उन्होंने कोचिंग की फीस भरने के लिए मजदूरी की, क्योंकि उनके परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर थी।

Q3. शुभम को मेडिकल कॉलेज में कहां प्रवेश मिला?

उन्हें एमकेसीजी मेडिकल कॉलेज, बेरहामपुर में MBBS की सीट मिली।

Q4. शुभम की NEET रैंक क्या रही?

शुभम ने NEET में 18,212वीं रैंक हासिल की।

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