बॉलीवुड के शहंशाह अमिताभ बच्चन का करियर सिनेमाई इतिहास का एक अद्भुत अध्याय है। 1969 में ‘सात हिंदुस्तानी’ से शुरू हुआ उनका सफर 55 साल बाद भी थमने का नाम नहीं ले रहा। 82 वर्ष की उम्र में भी वह नई पीढ़ी को हैरान करने वाली फिल्मों में दमदार भूमिकाएं निभा रहे हैं। उनके साथ काम करना हर कलाकार का सपना होता है, लेकिन एक बार ऐसा भी हुआ जब एक मशहूर अभिनेत्री ने उनके साथ फिल्म करने से इनकार कर दिया। यह कोई और नहीं, बल्कि बॉलीवुड की दिवंगत ‘क्वीन ऑफ एक्सप्रेशन’ श्रीदेवी थीं। यह कहानी है 1992 की ब्लॉकबस्टर फिल्म ‘खुदा गवाह’ की, जिसमें श्रीदेवी को मनाने के लिए अमिताभ ने एक अद्वितीय तरीका अपनाया था।
##जब श्रीदेवी ने कहा था ना:
‘खुदा गवाह’ के निर्देशक मुकुल एस. आनंद ने जब यह स्क्रिप्ट अमिताभ बच्चन के सामने रखी, तो उन्होंने बताया कि फिल्म में श्रीदेवी मुख्य भूमिका निभाएंगी। हालांकि, अमिताभ को लगा कि चूंकि दोनों इससे पहले ‘इंसानियत’ (1984) और ‘अल्लाह रक्खा’ (1986) जैसी फिल्मों में साथ काम कर चुके हैं, श्रीदेवी इस बार शायद रुचि न दिखाएं। और ऐसा ही हुआ। श्रीदेवी ने पहले तो फिल्म में काम करने से साफ मना कर दिया।
##गुलाबो का ट्रक और बिग बी का रोमांटिक जादू:
श्रीदेवी के इनकार के बाद अमिताभ ने उन्हें मनाने का अनोखा तरीका चुना। उन्होंने श्रीदेवी के घर गुलाबों से भरा एक पूरा ट्रक भेज दिया! यह इश्कबाज़ी भरा जतन सुनकर श्रीदेवी हैरान रह गईं। ‘श्रीदेवी: द इटरनल स्क्रीन गॉडेस’ नामक किताब में इस घटना का जिक्र करते हुए बताया गया है कि यह अमिताभ की मेहनत और सम्मान देने की भावना थी जिसने श्रीदेवी का दिल जीत लिया।
##शर्त रखी: मैं मां और बेटी दोनों का किरदार करूंगी
गुलाबों के जादू के बाद भी श्रीदेवी ने फिल्म के लिए एक शर्त रखी। उन्होंने कहा कि वह ‘खुदा गवाह’ में एक ही फिल्म में मां और बेटी का डबल रोल निभाएंगी। यह चुनौतीपूर्ण भूमिका उन्हें अपनी एक्टिंग रेंज दिखाने का मौका देती थी। फिल्म निर्माताओं ने यह शर्त मान ली, और श्रीदेवी ने बेगम परी बानो और उनकी बेटी मेहंदी की भूमिकाओं में अपने अभिनय का जादू बिखेरा।
##खुदा गवाह बनी यादगार फिल्म,
यह फिल्म अफगानिस्तान और भारत की पृष्ठभूमि पर बनी एक महाकाव्य प्रेम कहानी थी, जिसमें अमिताभ ने बादशाह खान की भूमिका निभाई। श्रीदेवी के डबल रोल और अमिताभ के साथ उनके केमिस्ट्री ने फिल्म को सुपरहिट बना दिया। फिल्म ने न केवल बॉक्स ऑफिस पर धूम मचाई, बल्कि श्रीदेवी के करियर में भी एक नया मुकाम जोड़ा।
##एक दिग्गज का सम्मान और एक कलाकार का जज्बा:
यह किस्सा न सिर्फ अमिताभ बच्चन की विनम्रता और सहकलाकारों के प्रति सम्मान को दर्शाता है, बल्कि श्रीदेवी के उस जुनून को भी उजागर करता है जिसमें वह मामूली भूमिकाओं से संतुष्ट नहीं होती थीं। आज भी ‘खुदा गवाह’ को उनकी यादगार फिल्मों में गिना जाता है, और यह कहानी बॉलीवुड के इतिहास के सुनहरे पन्नों में दर्ज हो चुकी है।
#नोट:
श्रीदेवी और अमिताभ बच्चन की यह जोड़ी सिनेमा प्रेमियों के दिलों में हमेशा जिंदा रहेगी। उनकी यह अनोखी साझेदारी न सिर्फ पर्दे पर, बल्कि पर्दे के पीछे के सम्मान और सिनेमाई प्रतिबद्धता की मिसाल है।
आपको यह भी पसंद आ सकता है,रेड 2 मूवी समीक्षा और कहानी
0 टिप्पणियाँ