महाभारत के श्री कृष्ण का चौकाने वाला बयान: कृष्ण की ऐसी बात सुनकर आप भी चौंक जाएंगे


भारतीय टेलीविजन के प्रसिद्ध अभिनेता नीतीश भारद्वाज, जो महाभारत में 'श्रीकृष्ण' की भूमिका के लिए चर्चित रहे, का निजी जीवन अक्सर सुर्खियों में रहा है। वर्ष 2009 में उन्होंने स्मिता गेट से दूसरी शादी की, जिससे उनकी जुड़वा बेटियाँ हुईं। हालांकि, यह रिश्ता लंबे समय तक नहीं चला और 2019 में दोनों के बीच अलगाव हो गया। इसके बाद से ही दोनों पक्षों के आरोप-प्रत्यारोप मीडिया का विषय बने हुए हैं।

##स्मिता के गंभीर आरोप और नीतीश के पलटवार:
स्मिता गेट ने नीतीश पर मानसिक प्रताड़ना के साथ-साथ अन्य गंभीर आरोप लगाए थे। हालांकि, नीतीश ने इन आरोपों को खारिज करते हुए स्मिता को "झूठी" करार दिया और उन पर अपनी ही बेटियों से मिलने में बाधा डालने का आरोप लगाया। उन्होंने दावा किया कि स्मिता ने बच्चियों का "अपहरण" कर लिया है और एक पिता के अधिकारों को नज़रअंदाज़ किया है।

##विकी डोनर बना दिया था: नीतीश का बड़ा खुलासा,
नीतीश ने 'टेली टॉक इंडिया' को दिए इंटरव्यू में चौंकाने वाले खुलासे किए। उन्होंने कहा, "स्मिता ने मुझे सिर्फ़ बच्चे पैदा करने के लिए इस्तेमाल किया। 13 साल तक हमारे बीच कोई शारीरिक संबंध नहीं था। वह मुझे एटीएम समझती थीं और पैसों के लिए दबाव बनाती थीं।" नीतीश के अनुसार, स्मिता उन्हें एक अलग कमरे में रखती थीं और बच्चों के साथ उनकी निकटता नहीं बनने देती थीं।

##स्मिता की तीसरी विवाह और पूर्व पति का बयान 
नीतीश ने आगे बताया कि स्मिता ने उनके साथ रहते हुए ही तीसरी शादी कर ली थी। इसके साथ ही, स्मिता के पहले पति ने भी उनके व्यवहार पर सवाल उठाए थे। उनके अनुसार, स्मिता "शादी के बंधन में बंधना पसंद नहीं करती थीं और बिना तलाक दिए नए रिश्ते शुरू कर देती थीं।" यही वजह है कि नीतीश ने स्मिता पर "झूठे आरोपों की साजिश" रचने का भी इल्ज़ाम लगाया।

##वर्तमान स्थिति और अनसुलझे सवाल
2019 में अलगाव के बाद से दोनों के बीच कानूनी लड़ाई जारी है, खासकर बेटियों की कस्टडी को लेकर। नीतीश का कहना है कि वह एक पिता के रूप में अपने अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे हैं, जबकि स्मिता की ओर से अभी तक कोई ताज़ा प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। यह मामला न सिर्फ़ रिश्तों की जटिलताओं, बल्कि सेलेब्रिटी जीवन के उन पहलुओं को भी उजागर करता है, जो अक्सर सार्वजनिक नहीं होते।  

**अंतिम शब्द:
यह विवाद सिर्फ़ दो लोगों की नहीं, बल्कि एक ऐसी सामाजिक सच्चाई की कहानी है, जहाँ संबंधों की जटिलताएँ और व्यक्तिगत आरोप अक्सर कानूनी एवं भावनात्मक युद्ध का रूप ले लेते हैं। जब तक दोनों पक्षों के बीच स्पष्टता नहीं आती, तब तक यह मामला अनसुलझा ही रहेगा।

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