रायतु बंधु योजना की शुरुआत 2018 में चंद्रशेखर राव ने शुरू की थी। इस योजना के तहत किसानों को रवि और खरीफ फसल के समय साल में ₹10000 दिया जाता है। लेकिन आचार संहिता का उल्लंघन करने के कारण किसानों का यह किस्त रोक दिया गया है।
तेलंगाना में नई विधानसभा के लिए मतदान से पहले भारत राष्ट्र समिति आरसीएस की बड़ा झटका लगा है। चुनाव आयोग ने राज्य की आरसीएस सरकार को रायतु बंधु वसीम के तहत किसानों को शर्तों के साथ है किस्त जारी करने की दी गई अनुमति वापस ले ली है।
किस्तों के वितरण पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाते हुए इसके अमल की रिपोर्ट भी तालाब की है। तेलंगाना में 30 नवंबर को वोटिंग होनी है। इससे पहला राज्य सरकार किसानों के खाते में योजना की किस्त भेज कर अपने पक्ष में माहौल बनाने में जुटी हुई थी।
चुनाव आयोग ने यह कार्रवाई राज्य सरकार द्वारा अनुमति की शर्तें तोड़ने के बाद की है। प्रदेश के वित्त मंत्री और आरसीएस नेता की हरी से राव को रेलिया में यह कहते हुए सुना गया था कि रायतु बंधु स्कीम का पैसा सोमवार को उनके खातों में आ जाएगा। जब तक वह नाश्ता कर रहे होंगे तब तक पैसा उनके खातों में पहुंच जाएगा।
इन शर्तों के साथ चुनाव आयोग ने दी थी अनुमति।
चुनाव आयोग ने राज्य सरकार को स्कीम की किस्त जारी करने की अनुमति सिर्फ इस आधार पर दी थी कि इसके जारी होने में देरी पर किसानों की रवि की बुवाई प्रभावित हो सकती है। आयोग ने इसके साथ ही कुछ शर्त भी जोड़ देती थी। 1,इसके तहत स्कीम में कोई नया नाम नहीं जोड़ना था। 2,इसका किसी तरह प्रचार नहीं किया जाना था।3, इसका किसी तरह प्रचार नहीं किया जाना था। 4, इस राशि के वितरण के लिए कोई सार्वजनिक के कार्यक्रम नहीं आयोजित किया जाना था। 5, किसी को नगद में राशि नहीं दी जानी थी। 6, इसे इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से ही किसानों के खाते में डाला जाना था।
किसानों के खाते भेजे जाने थे ₹10000,
चुनाव आयोग ने जिस स्कीम की अगली किस्त जारी करने पर रोक लगाई है उसे पूर्व में दी गई अनुमति वापस ली है। उसके तहत राज्य के प्रत्येक किसान को ₹10000 दिए जाने थे। यह राशि उन्हें बीज उर्वरक और बुवाई आदि के लिए दी जाती है। हाल ही में बरस सरकार ने इस राशि को 8000 से बढ़कर ₹10000 का कर दिया था। ऐसे में बढ़ी हुई यह राशि पहली बार किसानों को मिलने वाली थी।
8000 से ₹10000 का दी है राशि बढ़ाकर हाल ही में बीआरएस सरकार ने की है।
चुनाव आयोग ने राज्य सरकार को जिन शर्तों के तहत किसानों के खाते में पैसा भेजने की अनुमति दी थी उनमें इसका कोई प्रचार प्रसार नहीं करना था। कांग्रेस और भाजपा ने किस मामले में कड़ी कार्रवाई करने की मांग की।
वहीं चुनाव आयोग के फैसले ने कांग्रेस की सियासी राहत दी है। मगर मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव की सत्ताधारी भारत राष्ट्र समिति जिस तरह इसके लिए कांग्रेस को कटघरे में खड़ा कर रही है उसने पार्टी को सतर्क कर दिया है। चुनाव आयोग के फैसले के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहरने के आरसीएस के दावा की थमने के लिए कांग्रेस नेतृत्व ने खुद मोर्चा संभाल लिया है।

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