success story, छठी क्लास पास महिला IAS अधिकारियों को दी ट्रेनिंग।

बिहार की शांति देवी छठी क्लास तक पढ़ी है लेकिन उनकी सफलता के बारे में जानने के लिए लोग काफी उत्सुक होते हैं। कोसी नदी के किनारे में बासी बिहार के सहरसा जिले की शोभा पंचायत का छोटा सा गांव मनोरी। यहां की निवासी छठी कक्षा पास शांति देवी ने इस वर्ष से आईएएस अधिकारियों को सफलता की राह बताई है। किस प्रकार विपरीत परिस्थितियों से उबड़कर कोई भी व्यक्ति या समाज सफलता प्राप्त कर सकता है। कभी दूसरे के खेत में काम करने वाली शांति देवी आज फार्मर्स प्रोड्यूसर कंपनी की सचिव है। उन्होंने 1800 महिलाओं को जोड़कर जीविका समूह बनाया है।

टीमवर्क की बात, मसूरी स्थित लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी में बतौर प्रशिक्षक शांति देवी ने देश भर के आईएएस अधिकारियों को क्लस्टर लेवल फेडरेशन और एक पो के बारे में बताया कि किस प्रकार टीमवर्क से आर्थिक उन्नति आ रही है। 31 में से 2 जून तक उन्होंने समूह निर्माण जिसकी कार्य प्रणाली मक्के की खेती उत्पादन और बाजार व्यवस्था की जानकारी दी। ट्रेनिंग सेंटर में विभिन्न राज्यों के 220 से अधिकारी थे। उन्होंने अधिकारियों को बताया कि कैसे शुरुआत में बच्चे का विद्यालय में प्रवेश तक के करने के लिए दूसरों पर आश्रित थी। टीवी कैसे खेती की शुरुआत कर आए बधाई और सफलता की यह राह पकड़ी।वह कहती है कि पहले तो विश्वास ही नहीं हुआ कि आईएएस अधिकारियों को ट्रेनिंग देने के लिए उन्हें बुलाया गया है। उन्हें वहां सम्मानित भी किया गया 7 करोड रुपए का टर्नओवर शांति देवी ने जीविका समूह की महिलाओं के सहयोग से ₹200000 जमा कर मक्के का व्यवसाय शुरू किया।
गांव में बी खाद्य आदि मुहैया कराने से रकबा बढ़ा और एफपीयू मक्का बाजार में बेचने लगी।

अब दो गोदाम किराए पर लिए हैं। टर्नओवर इस वर्ष 7 करोड रुपए से अधिक हो जाएगा। ए के बारे में पूछने पर शांति देवी हंसती हुई करती है कि अब हर सदस्य महिला अपना परिवार अच्छे से चला लेती है।
ऐसी रही सफलता की यात्रा।
स्पा की सचिव शांति देवी के पास से बहुत कम कृषि भूमि है। जिस पर खेती करने से उन्हें अधिक लाभ नहीं हो पा रहा था। 2012 में जीविका समूह से जुड़ने के बाद शांति देवी ने आगे बढ़कर नेतृत्व संभाला और गांव में ही खेती की बेहतर सुविधा जुटाई। वर्ष 2018 में उन्हें फार्मर्स प्रोड्यूसर कंपनी सहरसा महिला जीविका उत्पाद लिमिटेड का सचिव बनाया गया। कंपनी मक्के का व्यवसाय कर ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने में जुटी है।

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