कोर्ट ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण कदम बताते हुए न सिर्फ याचिका खारिज कर दी बल्कि याचिकाकर्ता पर ₹100000 का जुर्माना भी ठोक दिया।
कोर्ट ने कहा कि अनुकंपा के आधार पर नौकरी का पहला हाथ पत्नी का है।
जालंधर वासी मनिंदर सिंह ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर बताया कि उसके भाई शमशेर सिंह का वाहन दुर्घटना में मौत हो गई थी।
शमशेर सिंह सरकारी नौकरी में थे इसलिए उनकी भाभी ने अनुकंपा के आधार पर नौकरी के लिए आवेदन किया और पंजाब सरकार ने नौकरी और ₹60 लाख दे दिए।
याचिकाकर्ता ने कहा कि पैसे पाने के बावजूद भाभी अपने सास-ससुर का ध्यान नहीं रख रही है। ऐसे में याची को अनुकंपा आधार पर नौकरी दी जाए ताकि वह परिजनों का ध्यान रख सके।
हाईकोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि चाय प्रावधान के तहत है मृतक कर्मी के केवल एक आश्रित को अनुकंपा के आधार पर नौकरी देने का प्रावधान है और उस पर पहला हक मृतक की पत्नी का है।
हाईकोर्ट ने याचिका को दुर्भाग्यपूर्ण करार देते हुए याचिकाकर्ता पर ₹100000 का जुर्माना भी लगाया।
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